V.S Awasthi

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तुम्हारी याद आती है




तुम्हारी याद आती है
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तड़प उठता हूं मैं उस पल जब मां की याद आती है,
तुम्हारे बिन ये मां मुझको दुनिया सब सताती है।

तुम्हारे साथ बीते पल मां मुझको रुलाते हैं,
लगे जब घाव हैं दिल में तुम्हारी याद आती है।

मेरे जब चोट लगती थी तुम अश्रू बहाती थी,
लगाती प्यार का मरहम तुम्हारी याद आती है।

ना मिलता स्वाद खाने में मैं छप्पन भोग खा डालूं,
तुम्हारे हाथ का एक कौर तुम्हारी याद आती है।

अगर बीमार हो जाता दवा तुम ही तो देती थीं,
अब बीमार पड़ता हूं तुम्हारी याद आती है।

कहां खोजूं तुम्हें मैं मां अब दर्शन तुम नहीं देतीं,
अकेला रह गया मैं मां तुम्हारी याद आती है।

बुलालो मां या आ जाओ अकेला रह नहीं सकता,
सिवा तेरे ना है कोई तुम्हारी याद आती है।

पथिक भी भटके कब तक मां बस तेरा ही सहारा है,
संभालो आ के तुम ऐ मां तुम्हारी याद आती है।

विद्या शंकर अवस्थी, "पथिक", कानपुर

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11 Comments

Khushbu

14-Jun-2022 09:34 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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नंदिता राय

14-Jun-2022 04:52 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Reyaan

14-Jun-2022 03:39 PM

शानदार

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